एक दशक आंगनवाड़ी संभाली, अब थाना संभालेगी हेमलता, अफसर बनी बिटिया, गाँववालो ने किया जोरदार स्वागत। बाड़मेर। कहते है मुश्किलें इंसान को रोक सक...
एक दशक आंगनवाड़ी संभाली, अब थाना संभालेगी हेमलता, अफसर बनी बिटिया, गाँववालो ने किया जोरदार स्वागत।
बाड़मेर। कहते है मुश्किलें इंसान को रोक सकती है लेकिन तोड़ नही सकती, झुका नही सकती। यही बात बाड़मेर में कभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रही एक बेटी पर लागू होती है। इस बेटी ने अपनी मेहनत से अपने कंधे पर ना केवल खाकी वर्दी बल्कि दो सितारे भी लगाए है। आसपास के इलाके की पहली सब इंस्पेक्टर बनी हेमलता जब सब इंस्पेक्टर बनने के बाद पहली बार घर आई तो लोगो ने उसे कंधे पर उठा लिया और गांव घुमाया। घर की औरतों ने भी मंगल गीत गाकर उसका स्वागत किया।
बाड़मेर के छोटे से गांव सरणू की हेमलता जाखड़ के पिता दुर्गा राम जाखड़ को आज अपनी बेटी पर गर्व है। पढ़ - लिखकर कुछ बनने के जुनून की वजह से वह आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रहते हुए पढ़ाई में जुटी रही और अब उसका चयन राजस्थान पुलिस में बतौर सब इंस्पेक्टर हुआ है। हेमलता ने अपनी आठवीं तक की पढ़ाई राजकीय स्कूल सरनु चिमनजी से की। वह 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सरनु में करने के लिए रोजाना 14 किलोमीटर पैदल सफर तय करती थी। आगे की पढ़ाई उन्होंने स्वयंपाठी विद्यार्थी के तौर पर की। हेमलता के पिता एक किसान है। वह एक सामान्य किसान परिवार से नाता रखती है। हेमलता बताती है कि 2021 परीक्षा में मेरा राजस्थान पुलिस सब इंस्पेक्टर पर चयन हुआ।
मेरे गांव सरनु और सरणू चिमनजी से अभी तक कोई कोई पुरुष या महिला सब इंस्पेक्टर नहीं हैं। वह अपने गांव की प्रथम सब इंस्पेक्टर बनी है। हेमलता बताती है कि मुझमें बचपन से ही जुनून था पुलिस में जाने का। पुलिस की वर्दी से उसे बचपन से ही बेपनाह मोहब्बत थी। वह बताती है कि मेरा जीवन उतार चढ़ाव भरा रहा। जीवन संघर्षशील रहा। सब कुछ बहुत आसान नहीं रहा लेकिन उसने अपनी मेहनत से सफलता को पाया। वह बताती है कि मुझे खेल से भी बेहद लगाव रहा। हेमलता कबड्डी की राज्य स्तरीय खिलाड़ी रह चुकी है और पुलिस सेवा में विभाग से खेलना चाहती हैं। जिससे वह अपनी खेल भावना को जारी रख सके।
वह बताती है कि उसके गांव में मेरी हम उम्र की लड़कियां पढ़ती नहीं थी। उसकी पढ़ाई जारी रखने के लिए उसके मम्मी पापा को लोगों से बहुत कुछ भला बुरा सुनना पड़ा लेकिन उन्होंने हमेशा मेरे पर भरोसा किया मुझे कभी कुछ नहीं कहा। वह अपनी सफलता का श्रेय माता - पिता, दादी, भाई, बहन और पूरे परिवार को देती है।
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