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67 स्वंय सहायता समूहों को ऋण वितरित किया गया |

Reporter-- LIYAKAT ALI  सिरोही, 19 सितम्बर। पंचायत समिति पिंडवाडा के सभागार में राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका) द्वारा गठ...

Reporter-- LIYAKAT ALI 
सिरोही, 19 सितम्बर। पंचायत समिति पिंडवाडा के सभागार में राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका) द्वारा गठित 67 स्वंय सहायता समूहों को जिला कलक्टर संदेश नायक सिरोही के कर कमलों से ऋण वितरित किया गया।
जिला कलक्टर ने महिलाओं को बताया कि केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा महिालाओें के आर्थिक विकास और सषक्तिकरण के क्षैत्र में बहुत प्रयास किये जा रहे है। राजीविका के माध्यम से राजस्थान सरकार द्वारा समूह गठन से निष्चित रूप से महिलायें आत्मनिर्भर बनेगीं और एक समय आयेगा जब सरकार की सभी योजनाये राजीविका के माध्यम से  ही संचालित होगी। वर्तमान में नरेगा की कुछ योजनायें (विषेष रूप से व्यक्तिगत लाभ की केटेगरी बी) राजीविका के कलस्टर लेवल फेडरेषन (सी.एल.एफ.) के माध्यम से संचालित की जा रही है। नरेगा में मेट भी राजीविका स्वंय सहयता समूह की महिला ही होगी। और भी कई प्रकार की आजीविका गतिविधियों से समूह की महिलाओं को जोड़ा जा रहा है। आज बैंकों के सहयोग से राजीविका द्वारा आयोजित इस क्रेडिट केम्प में उपस्थित महिलाओं ने जिस प्रकार अपने अनुभव साझा किये उससे लगता है कि राजस्थान की महिलायें बहुत जल्दी सक्षम और मजबूत होगी।
 राजीविका के जिला परियोजना प्रबन्धक नरपत सिंह जैतावत ने बताया कि भारत सरकार के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिषन के अन्तर्गत राजस्थान सरकार द्वारा राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका) परियोजना संचालित की जा रही है। इस परियोजना के अन्तर्गत ग्रामीण क्षैत्र की गरीब परिवारों की महिलाओं को स्वंय सहायता समूहों के माध्यम से आजीविका के क्षैत्र में आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। सर्वप्रथम गांव में सर्वे कर ग्रामीण परिवारों की पहचान कर महिलाओं को समूह में जोड़ा जाता है। एक समूह में 10 से 19 महिलायें होती है। एक गांव में 5 से 19 समूहों ऊपर एक ग्राम संगठन का गठन किया जाता है तथा 6 से ज्यादा ग्राम संगठनों के ऊपर एक कलस्टर लेवल फेडरेषन (सी.एल.एफ.) का निर्मा किया जाता है जिसका सहकारी अधिनियम  के अन्तर्गत पंजीकरण करवासा जाता है। कलस्टर लेवल फेडरेषन के स्वंय के कार्मिक होते है जो परियोजना गतिविधियों को संचालित करानें में सहयोग करते है।

        परियोजना द्वारा प्रत्येक स्वंय सहायता समूह को रिवाल्विंग फण्ड के रूप में 15 हजार तथा कम्यूनिटी इन्वेस्टमेन्ट फण्ड के रूप में एक लाख 10 हजार रूपये की वित्तीय सहायता दी जाती है। इसके बाद समूह को बैंक ऋण उपलब्ध करवाया जाता है।
सिरोही सेण्ट्रल कोपरेटिव बैंक के प्रबन्ध निदेषक प्रमोद कुमार ने महिलाओं को प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के बारे में जानकारी देते हुए प्रत्येक महिला को उक्त योजनाओं में बीमा करवाने की अपील की। उन्होने शाखा प्रबन्धकों से राजीविका स्वंय सहायता समूह की महिलाओं को दिल खोलकर ऋण देने के लिए प्रेरित किया। उन्होने बताया कि राजीविका द्वारा गठित स्वंय सहायता समूहों की ऋण वापसी शत प्रतिषत है।

          जिला विकास प्रबन्धक नाबार्ड श्री जितेन्द्र सिंह मीणा ने भारत में स्वंय सहायता समूहों की उत्पत्ति और उनके संचालन के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
          लीड बैंक अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देषानुसार कोई भी शाखा प्रबन्धक बिना उच्च अधिकारी की अनुमति के स्वंय सहायता समूह के ऋण आवेदन पत्र वापस नही लौटा सकते है। राजस्थान मरूधरा ग्रामीण बैंक सिरोही के क्षैत्रीय प्रबन्धक श्री गुप्ता जी ने बताया कि वर्तमान में भारतीय रिजर्व बैंक ने स्वंय सहायता समूहों की न्यूनतम ऋण साीमा 50 हजार से बढ़ा कर 1 लाख रूपये कर दी है। और राजस्थान मरूधरा ग्रामीण बैंक राजीविका के सभी स्वंय सहायता समूहों को ऋण देने के लिए प्रतिबद्व है।
          इस अवसर पर विभिन्न बैंक शाखाओं के शाखा प्रबन्धक तथा राजीविका स्वंय सहायता समूहों की महिलाओं के साथ परियोजना स्टॉफ उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन ब्लॉक परियोजना प्रबन्धक लालचन्द धाकड़ ने किया।

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