विभाग के अधिकारी बोले इस बार तो जमा कराना पडेगा रिपोर्टर : मदन छाजेड़ बाड़मेर 28 मार्च। पीएचईडी विभाग की मनमानी और अधिकारियों की लापरवाही क...
विभाग के अधिकारी बोले इस बार तो जमा कराना पडेगा
रिपोर्टर : मदन छाजेड़
बाड़मेर 28 मार्च। पीएचईडी विभाग की मनमानी और अधिकारियों की लापरवाही का दंश शहर की जनता भुगत रही मगर जिले के सबसे बडे विभागीय अधिकारी को उससे कोई सरोकार नही। पहले तो नियमानुसार दो माह में पानी के बिल जारी किये जाते थे। इस बार चार का बिल एक साथ थमा दिया गया ओर उपर से लोगो को बिल 28 मार्च को मिले और 29 मार्च भुगतान की अतिन्म तिथि अंकित कर दी गई जबकि चैक के द्वारा भुगतान करने की अन्तिम तिथि 28 मार्च अंकित की गई है। आम उपभोक्ता ने अधिषांशी अभियन्ता वृत बाड़मेर के नेमाराम परिहार से बात की तो उन्होने सन्तोश जनक जवाब देने के बजाय कहा कि इस बार आपको भरना पडेगा अगली से हम ख्याल रखेगे। जब उपभोक्ता ने पुछा की चार माह के बिल एक साथ जारी किये गये है जबकि पानी के बिल दो माह में एक बार वितरित किये जाते रहे है वो इसका कोई जवाब नही दे पाये। ऐसे में ये कहा जा सकता है की विभाग की ओर से अपने कार्य के प्रति कितने सजग है। एक उपभोक्ता से बात करने पर उसने बताया कि उसे मुझे 28 मार्च को शाम मुझे बिल मिला है और 29 को मुझे इसे भरना पडेगा नही तो 20 रूपये की पेनल्टी लग जायेगी। उसने बताया कि मुझे 28 मार्च की शाम को बिल मिला है जबकि बिल पर वितरण की तिथि 08 मार्च लिखी गई है तो विभाग ने आखिर 20 दिन तक बिल क्यों नही वितरित किये। विभाग द्वारा समय पर बिल वितरण नही करने की गलती की सजा आम उपभोक्ताओं को भुगतनी पड रही है।
मार्च में काम का बोझ ज्यादा
परिहार से बात करने पर उन्होने बताया कि मार्च में काम का बोझ ज्यादा रहता है इस लिए इस बार लेट हो गये। अब आम उपभोक्ता को ये समझ में नही आ रहा है कि मार्च में काम को बोझ ज्यादा है मगर बिल जो चार माह के डाले गये है वो तो नवम्बर से फरवरी तक के है। ऐसे में ये समझ में नही आ रहा है कि मार्च में काम को बोझ इतना ज्यादा होगा की वो नवम्बर से इसकी तैयारी करने में लग गये।
इस बार तो भरवा दो
परिहार को जब दुबारा फोन लगाकर पुछा गया तो उन्होने बताया कि इस बार तो भरवा दो आगे से ऐसा नही होगा। जब उनसे तिथि बढाने के बारे पुछा गया तो उन्होने कहा कि मार्च का महिना है तिथि को आगे नही बढाया जा सकता। टारगेट पुरा करने के चक्कर में उपभोक्ता के हक के साथ इस तरह का बर्ताव हो रहा है।
कोई टिप्पणी नहीं