आज भी हमारे आजाद भारत देश में आज भी बचपन को बिना पूछे बिना बताए एक अनजान बंधन में बांध दिया जाता है। भारत भर ने हर राज्य में यह बीमारी सदि...
आज भी हमारे आजाद भारत देश में आज भी बचपन को बिना पूछे बिना बताए एक अनजान बंधन में बांध दिया जाता है। भारत भर ने हर राज्य में यह बीमारी सदियों से चली आ रही हैं इस लाईलाज सामाजिक बीमारी से ग्रसित ग्रामीणों की मानसिकता पर इतना असर पड़ रहा हैं जिसका उदाहरण आपको ग्रामीण अंचलों में बसे दूर दूर ढाणियों के लोगो के बिच घर में किसी बड़े बुजुर्ग की मौत पर होने वाले बारहवे पर देखने को मिल जायेगा। आज अगर इस आजाद भारत की बात करे तो मुझे नही लगता की हम आजाद हैं क्योंकि एक अबोध बच्चा जिनको इस दुनिया के बारे में मालूम ही नही की क्या रीती रिवाज हैं क्या संस्कार हैं क्या रिश्ते हैं क्या जाती क्या धर्म हैं इन सब बातों से अनजान अपनी बचपन की अठखेलियों में मस्त होकर हँसता खेलता बचपन एक नए बन्धन की सीमाओं से अनजान बेख़ौफ़ लोगो के बिच कभी इधर तो कभी उधर उछल कूद करता हुआ नादान बचपन जो अपने ही लगो द्वारा बिना पूछे बिना जाने की इस बच्चे के मन में क्या हैं क्या यह रिश्ता उसको मंजूर होगा जब बड़ा होगा तब यह सब सहन होगा या रिश्ता निभाएगा या नही इन सब बातो से बेख़ौफ़ घरवाले इन नन्हे मुन्हे दुधमुँहे बच्चो की जबरदस्ती शादी कर देते हैं। जब बच्चे बड़े होते हैं तब पता चलता हैं की हम तो शादी शुदा हैं अरे हमारी शादी हुई कब कब हमारे फेरे हुए कब हमारी बारात निकली कब हमारे दोस्त लोग हमारी शादी में शामिल हुए । और ऐसी शादिया काफी हद तक लड़के और लड़की की आपस में अनबन की बजह से टूट जाते हैं और या फिर दोनों में से किसी एक को मौत का रास्ता चुनना पड़ता हैं। यह सब क्या हैं किसी इंसान को अपनी जिंदगी जीने का अधिकार नही हैं क्या यह सब सामाजिक नियम कायदे हैं मेरे हिसाब से यह बचपन की शादी बालविवाह पर एकदम सख्त क़ानूनी कार्यवाही होनी चाहिए।हम मानते हैं हमारी संस्कृति और हमारे रिश्ते नाते धर्म जाती सब के लिए एक समाज ही होता हैं जो हमारा मार्गदर्शन करता हैं पर समाज ऐसे फैसले नही ले जो किसी की जिंदगी नर्क बना दे या फिर जीने की आस छोड़कर मरने को मजबूर कर दे ऐसा नही होना चाहिए मेरे हिसाब से अपनों की रिश्तेदारी में अपने बच्चो का भविष्य बर्बाद मत करिये मेरी हर एक माँ बाप से यही गुजारिश हैं। मुझे मालूम हैं बालविवाह की तखलिफ क्या होती हैं इसलिए मेने मेरी तरह कई जनो की जिंदगी के बारे में मन में आने पर यह बात लिखने को मजबूर हुआ वो कहते हैं ना जब बात दिल में आ जाए तो कह देनी चाहिए जिससे खुद को भी अच्छा महशुस करते हैं और अपनी बात सुनकर ओरो का भी भला हो सकता हैं।
कोई टिप्पणी नहीं