धर्मेन्द्र सोनी कुशलगढ बासंवाड़ा बड़ी सरवा के पशु चिकित्सालय मे स्टाफ का टोटा कम्पाउण्डर के भरोसे पशु दवाखाना सब का साथ सबका विकास और अ...
धर्मेन्द्र सोनी कुशलगढ बासंवाड़ा
बड़ी सरवा के पशु चिकित्सालय मे स्टाफ का टोटा कम्पाउण्डर के भरोसे पशु दवाखाना सब का साथ सबका विकास और अच्छे दिनो का नारा देने वाली केन्द्र से लेकर राज्य की भाजपा सरकार के बड़े बड़े दावो की पोल गाँवो में खुलती नजर आर ही है।
बांसवाड़ा/राजस्थान के बासंवाङा जिले के कुशलगढ उपखण्ड क्षेत्र मे सरकारी दवाखानो पर स्टाफ नही है। आम गरीब आदिवासी इलाज के लिए मध्यप्रदेश या गुजरात की और जाकर अपनी बीमारी का इलाज करवाने को विवश है। वही सरकार प्रशासन पुलिस की लचर व्यवस्था से इन दिनो कथित नीम हकीम बंगाली क्षेत्र मे दिमक की तरह अपना दवाखाना खोलकर बिना डिग्री के बे रोक टोक खुले आम धड़ाधड़ अपनी अवैध दुकाने चलाकर गरीब आदिवासी मरीजो को इलाज के नाम पर काफी रुपया लूटकर वारे न्यारे कर रहे है। वही कई कई बंगालीयो ने ग्राम पंचायतो के सरपंचों सचिवो से साठ गाठ कर राशन कार्ड वोटर आइडी भी बनवा लिए है। मगर सभी चुप चाप तमाशा देखते नजर आ रहे है।
फस्ट प्रयुटी का दवाखाना बना रखा है
खैर गरीब आदिवासी बीमार होने के बाद अपना इलाज कही भी जा कर कराले लेकिन बे जुबान जानवर अपना दुखड़ा किसको सुनाए ऐसा ही मामला राजस्थान के बासंवाड़ा जिले के कुशलगढ क्षेत्र की बड़ी सरवा ग्राम पंचायत मे सरकारी पशु दवाखाने का मामला सामने आया है। सरकार ने इस पशु दवाखाने को फस्ट प्रयुटी का दवाखाना बना रखा है। लेकिन बे जुबान पशुओं के इलाज के लिए यहा सिर्फ एक मात्र कंपाउंडर ही बीमार पशुओ का इलाज करने को मजबुर है। जबकी उक्त पंचायत मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित है जहा पशु चिकित्सक सहीत कुल पांच का स्टाफ होना अनिवार्य है मगर चार का स्टाफ सरकार व पशुपालन विभाग मे नही भेजा जब कभी बे जुबान मवेशीयो पर बीमारी का कहर टुटता है या हत्या जैसे अपराध होने पर सज्जनगढ से चिकित्साधिकारी को बुलाना पङता है। मगर सरकार मे ऊँचे पदो पर बैठे नेताओ व उच्च अधिकारी को गरीब आदिवासीयो की मवेशियों की परवाह नहीं के बराबर हैं। इन महाशय को कहा यहा तो अपनो का साथ अपनो का विकास और अच्छे दिन अफसरो और नेताओं के गरीब जनता व मवेशी जाए भाड़ मे ऐसा सोतेलापन इस क्षेत्र मे देखने को मील रहा है।
खैर गरीब आदिवासी बीमार होने के बाद अपना इलाज कही भी जा कर कराले लेकिन बे जुबान जानवर अपना दुखड़ा किसको सुनाए ऐसा ही मामला राजस्थान के बासंवाड़ा जिले के कुशलगढ क्षेत्र की बड़ी सरवा ग्राम पंचायत मे सरकारी पशु दवाखाने का मामला सामने आया है। सरकार ने इस पशु दवाखाने को फस्ट प्रयुटी का दवाखाना बना रखा है। लेकिन बे जुबान पशुओं के इलाज के लिए यहा सिर्फ एक मात्र कंपाउंडर ही बीमार पशुओ का इलाज करने को मजबुर है। जबकी उक्त पंचायत मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित है जहा पशु चिकित्सक सहीत कुल पांच का स्टाफ होना अनिवार्य है मगर चार का स्टाफ सरकार व पशुपालन विभाग मे नही भेजा जब कभी बे जुबान मवेशीयो पर बीमारी का कहर टुटता है या हत्या जैसे अपराध होने पर सज्जनगढ से चिकित्साधिकारी को बुलाना पङता है। मगर सरकार मे ऊँचे पदो पर बैठे नेताओ व उच्च अधिकारी को गरीब आदिवासीयो की मवेशियों की परवाह नहीं के बराबर हैं। इन महाशय को कहा यहा तो अपनो का साथ अपनो का विकास और अच्छे दिन अफसरो और नेताओं के गरीब जनता व मवेशी जाए भाड़ मे ऐसा सोतेलापन इस क्षेत्र मे देखने को मील रहा है।
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