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हाईकोर्ट ने क्रेडिट सोसायटियों पर कसा और शिकंजा

बंशीलाल चौधरी आमजन से नही कर सकेंगे बैंकिंग कारोबार सोसायटियों से जुड़े लोगों का 15 दिन मे देना होगा कोर्ट मे ब्यौरा जोधपुर। राजस्थान हाईक...

बंशीलाल चौधरी

आमजन से नही कर सकेंगे बैंकिंग कारोबार सोसायटियों से जुड़े लोगों का 15 दिन मे देना होगा कोर्ट मे ब्यौरा
जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने कथित रूप से बिना रिजर्व बैंक से लाइसेन्स लिये आमजन को लुभावनी स्कीमों के विज्ञापनों से भ्रमित कर जमाएं लेने लेकर बैंकिंग कारोबार करने वाली क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटियों पर और ज्यादा शिकंजा कसा हैं।
इन आरोपों को लेकर एडवोकेट सज्जनसिंह भाटी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को न्यायमूर्ति गोविन्द माथुर एवं न्यायमूर्ति अनुपेन्द्रसिंह ग्रेवाल की खण्डपीठ ने दिये अपने अन्तरिम आदेशों मे कहा हैं कि मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव सोसायटी एक्ट 2002 एवं राजस्थान कोऑपरेटिव सोसायटी एक्ट के तहत पंजीकृत सोसायटियां बिना रिजर्व बैंक का लाइसेन्स लिये किसी तरह का बैंकिंग कारोबार नही कर सकती।

याचिकाकर्ता सज्जनसिंह भाटी की ओर से न्यायालय मे अधिवक्ता एसपी शर्मा एवं दलपतसिंह कोटड़ा ने पैरवी की।
अधिवक्ता महेन्द्रसिंह सिंघवी सहित विभिन्न अधिवक्ताओं द्वारा क्रेडिट सोसायटियों की ओर से दायर एक प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए खण्डपीठ ने विभिन्न अहम बिन्दुओं पर अंतरिम आदेश देते हुए कहा हैं कि ये सोसायटियां अपने सदस्यों के बीच ही गतिविधियां कर सकती हैं।

   खण्डपीठ ने बुधवार को निमनानुसार अंतरिम आदेश पारित किया हैं।

1- मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी एक्ट 2002 एवं राजस्थान कोऑपरेटिव सोसायटी एक्ट 2001 के तहत पंजीकृत क्रेडिट सोसायटियां बैंकिंग रेगयूलेशन एक्ट 1949 की धारा 5 (बी) के तहत बैंकिंग कारोबार नही कर सकती।

2- पंजीकृत सोसायटियां अपने कानून एवं बॉयलाज अनुसार अपनी गतिविधियां संचालित कर सकेगी लेकिन मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी एक्ट 2002 मे प्रभावी प्रतिबंध और पाबंदियों की पालना सुनिश्चित करते हुए ही ऐसा कर पायेगी।

3- प्रतिवादी क्रेडिट सोसायटियां अपने बॉयलाज अनुसार वर्तमान सदस्यों के बीच अपनी गतिविधियां चालू रख सकेगी। यदि कोई सोसायटी किसी व्यक्ति को अपना सदस्य नियमानुसार बनाना चाहती हैं तो सक्षम अधिकारी द्वारा उसकी पात्रता रिकॉर्ड करने के बाद ही स्वीकृति दे सकेगी।

4-क्रेडिट सोसायटियां अपनी उन गतिविधियों का विज्ञापन दे सकेगी जो अपने सदस्यों के उपयोग एवं उपभोग मे काम आ सके। यह सोसायटियां आमजन के लिए ऐसा कोई विज्ञापन जारी नही कर सकेगी जिसमें सदस्य बनने के लिए लुभावनी स्कीमों का सहारा लिया गया हो। इस तरह के विज्ञापन रजिस्ट्रार से अनुमोदित करवा कर ही जारी किए जा सकेंगे।

5- ऐसी सोसायटियों के निदेशक, निर्वाचित, मनोनित और नियुक्त लोग, ऑफिस धारकों को अपनी चल अचल सम्पति का ब्यौरा परीचय, पत्ते की जानकारी आदि का ब्यौरा 15 दिन मे राजस्थान हाईकोर्ट के उप पंजीयक (न्यायिक) के पास 15 दिन मे जमा करवाना होगा।

6- सेन्ट्रल रजिस्ट्रार मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी एवं राजस्थान कोऑपरेटिव सोसायटी के पंजीयक को निर्देश दिये गये हैं कि वह उक्त निर्देशों की अवधि अनुसार पालना सुनिश्चित करें तथा इनकी गतिविधियों के निरीक्षण की रिपोर्ट हाईकोर्ट मे पेश करें।

लुभावनी जमा एवं ऋण स्कीमों के नही दे सकेंगे विज्ञापन
इस तरह राजस्थान हाईकोर्ट ने क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटियों द्वारा कथित रूप से लुभावनो विज्ञापन देकर आमजन को अधिक ब्याज का प्रलोभन देकर जमाएं प्राप्त करने एवं ऋण देकर बिना रिजर्व बैंक के लाइसेन्स के बैंकिंग कारोबार किए जाने के मामले मे दायर जनहित याचिका पर विभिन्न पाबंदियां एवं शर्ते डाल कर जबरदस्त शिकंजा कसा हैं।

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