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बाड़मेर । गडरारोड़ ग्रामीणो का धरना दूसरे दिन भी जारी रहा

चंदन सिंह भाटी बाड़मेर आपदा प्रभारी की धरना स्थल पर वार्तालाप के बावजूद ग्रामीण शीघ्र पशु शिविर खोलने एवं किसानों के ऋण माफ करने की मांग पर ...

चंदन सिंह भाटी बाड़मेर

आपदा प्रभारी की धरना स्थल पर वार्तालाप के बावजूद ग्रामीण शीघ्र पशु शिविर खोलने एवं किसानों के ऋण माफ करने की मांग पर अड़े रहे।

बाड़मेर/गडरारोड़। सरहदी तहसील गडरारोड के सीमावर्ती सेकड़ों गांवों में भयंकर दोहरे अकाल की मार झेल रहे ग्रामीणों की आजीविका का साधन पशुधन सरेआम काल का ग्रास बनता जा रहा है। ग्रामीणों की बार-बार मांग के बावजूद भी समस्या जस-की-तस बनी हुई हैं। राज्य सरकार ने गडरारोड एवं रामसर तहसील के गांवों को अभावग्रस्त घोषित कर एक बार पशु शिविर स्वीकृत कर वाहवाही तो जरूर लूट ली लेकिन 90 दिन की अवधि का हवाला देकर पशु शिविर बंद कर दिया ।

शिविर बंद होने से सेकड़ों पशु अकाल की भेंट चढ रहे हैं
सरकार द्वारा पशु शिविर बंद करने से गरीब ग्रामीणों का कुछ बचा-कुचा पशुधन मौत के मॅूह में समा रहा हैं। तथा आये दिन सेकड़ों पशु अकाल की भेंट चढ रहे हैं। बार-बार राज्य सरकार एवं प्रशासन को चेताने के बावजूद भी इस क्षैत्र की तरफ ध्यान नहीं देने के चलते खफा सीमावर्ती गांवो के गरीब पशुपालकों एवं किसानों ने अपनी दो सुत्री मांगों को लेकर बुधवार को एडवोकेट खुमाणसिंह सोढा एवं समाजसेवी शंकरसिंह के नेतृत्व में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गये, जो गुरूवार को भी जारी रहा।

बुधवार को गडरारोड तहसीलदार को ज्ञापन सौपा था
बुधवार को गडरारोड तहसीलदार को ज्ञापन सौंपकर ग्रामीणों ने प्रशासन एवं राज्य सरकार के विरोध में जमकर नारेबाजी की। वही आरोप लगाया कि राजनेताओं को वोटों की जरूरत होती हैं, तब सीमावर्ती क्षैत्रों में वोट बैंक बढाने के लिए बड़े-बड़े वादे तो जरूर कर देते हैं, जब अपना स्वार्थ सिद्ध हो जाता हैं, तो इस क्षैत्र की तरफ ध्यान देना तो दूर की बात, सुध तक लेना मुनासिब नहीं समझते हैं। इस क्षैत्र के सेकड़ों गांवों के ग्रामीणों का मुख्य व्यवसाय खेती एवं पशुपालन हैं, जो लगातार दो-दो अकाल पड़ने से न तो कुछ खेतों में आमदनी हासिल हुई, और चारे के अभाव मे पशुधन भी सीमट रहा हैं।

मांगे नहीं मानी जायेगी तब तक अनिश्चितकालीन धरना जारी रहेगा
इतना ही नहीं किसानों ने खरीफ ऋण लेकर खेतों में बुवाई की, परन्तु समय पर बारिश नहीं होने के कारण फसलें नष्ट हो गई, तथा किसानों का सारा खर्चा बरबाद हो गयां। उसके बाद गिरदावरी रिपोर्ट में शतप्रतिशत खराबा बताया गया। उसके बावजूद भी सरकार कृषि अनुदान के नाम पर लघु सीमान्त कृषकों की सुचियां तैयार कर हैक्टर के हिसाब से अनुदान दे रही हैं, जो किसानोें के फसल खराबे एवं खर्चे के हिसाब से ऊट के मॅूह में जीरा साबित हो रहा हैं। जिसके चलते किसान कर्ज तले दब गये हैं। ग्रामीणों ने बताया कि गतवर्ष गहने गिरवी रखकर खरीफ ऋण चुकाया था, लेकिन इस वर्ष ऋण चुकाना तो दुर की बात हैं, आजिविका चलाना भी मुश्किल हो रहा है। वहीं बताया कि जब तक मांगे नहीं मानी जायेगी तब तक अनिश्चितकालीन धरना जारी रहेगा।

दो घंटे चला समझाईस का दौर
आपदा प्रभारी नखतदान बारहठ मय तहसीलदार गडरारोड डालाराम पंवार एवं विकास अधिकारी भगवानसिंह जेतावत ने धरना स्थल पर पहॅूचकर ग्रामीणों से समझाईस वार्तालाप की। परन्तु नतीजा बेअसर रहा, औंर ग्रामीण अपनी मांगों पर अड़े रहे। इस अवसर पर पूर्व सरपंच दशरथ कुमार, रमेश कुमार चांडक, पंचायत समिति सदस्य हाकमखां, समाजसेवी अयुबखां खानियानी, रिड़मलसिंह सोढा मैदूसर, ईश्वरसिंह सरपंच गडरारोड, उगमसिंह सोढा द्राभा सहित सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित थे।

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